Friday, 6 May 2022

माँ, कब तक सबके लिए जिया करोगी



कब तक सबके लिए जिया करोगी,
ज़िन्दगी अपने हिस्से की कब चखोगी,

बच गया तो खा लिया वरना ख़ुद के लिए सलाद कौन काटेगा,
सेहत तुम्हारी भी है ज़रूरी, ये कोई न तुम्हें समझायेगा,

याद रखती हो हमेशा, की कोई पकौड़े नहीं खाता, कोई सेब से मुंह चुराता,
फिर कैसे भूल जाती हो ख़ुद अपनी पसंद नापसन्द,

काटो तरबूज़, डालो अंगूर,
अपनी भी थाली सजाना ज़रूर,

परोसती हो बड़े उत्साह से सबको भोजन,
ख़ुद की भी लगाओ एक प्यार वाली थाली,

सबकी सेहत का रखती हो ध्यान,
क्या आज भी ना रखा ख़ुद की दवाई का मान,

कोई नहीं है आज चाय पीने वाला,
ये सोच कर न लगाना ख़ुद की चाह पर ताला,

सुबह सबसे पहले और रात को आखरी तक काम में मगन,
कभी तुम भी sunday को पढ़ो अखबार करो आराम,

दौड़ते भागते ठहरा करो, कभी चैन से बैठा करो,
ख़ुद को सवारा करो, आईने में ख़ुद को निहारा करो,


कब तक सबके लिए जिया करोगी,
ज़िन्दगी अपने हिस्से की कब चखोगी।

Thursday, 3 March 2022

मैं ही तो हूँ



तुम्हारे जीवन का आधार हूँ मैं,
कभी बेटी तो कभी माँ हूँ मैं,

मुझसे ही तुम्हारी भक्ति पूरी है,
भूलना नहीं शिव की शक्ति हूं मैं,

कृष्ण की बांसुरी पर नृत्य करती गोपी हूँ मैं,
क्रोधित हो कर महिषासुर मर्दिनी भी बनी हूँ मैं,

अहिल्या बन हुई पत्थर, द्रौपदी बन लगी दाव पर,
सीता बन समायी भूमि में, स्वर्ण सी निखरी हर अग्निपरीक्षा में,

गुड्डे गुड़ियों के खेल रचाती तुम्हारे आंगन में,
मुझसे ही तुम्हारा कन्यादान का पुण्य सम्पूर्ण है,

सुनी है मुझ बिन कलाई तुम्हारी,
रक्षा करने का वचन मुझ बिन अधूरा है,

नवजीवन की नन्ही कोपल को सवारती अपने अंदर मैं,
मेरे उस असहनीय दर्द के बिना तुम्हारी पहली मुस्कान अधूरी है,

खरोच लगी जब घुटनों को तुम्हारे,
एक आंसू मेरी पलकों के कोने से भी उतरा है,

काले मोती पहने गले में तुम्हारे लिए,
मेरे सिंदूर ने लगाया तुम्हारी आयु पर पहरा है,

अन्नपूर्णा रूप में बहाती पसीना रसोई में,
तब जा कर भोजन का चटकारा तुमनें लिया है,

दुःख के हर आँसू में तुम्हारे,
कतरा खून का मेरा भी बहा है,

बिना मेरे तुम्हारा मकान कभी घर ना बन पाता,
जिसे जन्नत कह कर विश्राम तुमने किया है,

निश्छल निर्मल निरन्तर बहती मैं जीवन की धारा में,
निर्भीक हो कर विभिन्न रूपों में रहती इस धरा में।

Wednesday, 2 February 2022

सर्दियों का भोजन - परम् सुख




सर्दियों के मौसम में खाने का आनंद कुछ ऐसा है...

उस पीली मक्के की रोटी से जब सरसों के साग को उठाते हैं, क्या गज़ब कलर कॉम्बिनेशन नज़र आता है,

गर्मा गरम गोभी के पराठों पर तैरता हुआ मक्ख़न मन को जो लुभाता है, स्वाद की इन्द्रियों को वो जगाता है,

अदरक वाली चाय में जब काली मिर्च पड़ जाती है, बिस्कुट भी बड़े प्रेम से उसमे डुबकी लगता है,


हरे चने की कचोरी पर जब पढती है खट्टी मीठी इमली और ताज़े धनिया की तीख़ी चटनी, परम् सुख वो कहलाता है,


गर्म जलेबी से तरती हुई चाशनी, उसके केसरिया रंग को निखरती है और हमारी आँखे उसे निहारती है,


आलू बड़े में से जब नाज़ुक से मटर छुप कर हमें देखते हैं, लगता है मानो हमें पुकार रहे हो,


गाजर का हलवा भी कहाँ पीछे रह पाता है, दूध मलाई , मेवे में सिकाई और वो सौंधी सी खुशबू जीवन का सार बताता है,


तिल तिल कर बढ़ते ठंड के दिनों में तिल गुड़ की मिठास मुँह में घुल कर स्वास्थ्य बढ़ा जाती है,


केसर बादाम का दूध जब एक ग्लास से दूसरे ग्लास में और फिर पहले ग्लास में मिलाया जाता है, मन कहता है उसकी नज़र उतारी जाना तो बनता है,


गर्मा गर्म कुरमुरे मसालेदार गराडू जब प्लेट मे इठलाते है, हमारे मन को मंत्र मुग्ध कर जाते है,


सर्दियों मे खाने के जो आनंद आते है उसका कोई तोड़ नहीं, जीवन के परम सुखों मे सर्वप्रथम है यही।

Sunday, 14 November 2021

बचपन




याद आता है बचपन का वो फ़साना

ना रोने का कारण ना हंसने का बहाना,


कागज़ की नाव बना कर बारिश में नहाना,

ठंड में ढूंढना स्कूल ना जाने का बहाना,


भाई बहन के झगड़े में रिमोट का टूट जाना,

"super mario" को टीवी में कुदाना,


दीवाली के पटाखे बीस दिन पहले से जलना,

होली पर पानी की पिचकारी में भी आनंद था सुहाना,


ना सुबह की खबर, ना शाम का ठिकाना,

थक कर स्कूल से आना, फिर भी बाहर खेलने जाना,


ना youtube की swiping ना PS 4 के बटन दबाना,

चित्रहार, महाभारत, तरंग के इंतज़ार में चहकना,


छोटी सी साईकल पर फेरी लगाना,

गुड्डे गुड़िया और गिल्ली डंडे का खेल लगता सुहाना,


नया पेंसिल बॉक्स आने पर चार दिन खुशियां मनाना,

स्कूल में बर्थडे पर क्लास में टॉफ़ी बांटना,

Wednesday, 2 June 2021

एक प्याली चाय






ज़िन्दगी भी चाय की ही तरह है,
घूंट घूंट कर इसे पी लीजिए,

शक्कर की मिठास का लुत्फ़ उठाना है,
तो दूध सा निर्मल हो लीजिए,

इलाइची का सुकून, अदरक का तीखापन मिलता है इसमें,
ऐसे ही सुख दुख की कुल्हड़ छलकाते रहिये,

मिलने दीजिये कड़क चायपत्ती भी,
धैर्य रखें, फिर रंग और स्वाद का कमाल देखिये,

तपिश आएगी जाएगी समय समय पर,
उबाल आने तक इंतज़ार कर लीजिए,

छन छन कर मुश्किलें थम जाएंगी,
फिर प्याला भर आनंद ले लीजिए,

सोच विचार चिन्ता फिकर में क्यों बिताएं पल,
सामने रखी चाय ना ठंडी होने दीजिए,

कप, प्याली, कुल्हड़ या गिलास चाहे जिसमें पी लीजिये,
जीने का तरीका अपना अनोखा चुन लीजिए,

बिस्कुट और पकोड़े साथ हो ना हो,
ये अकेली भी कहाँ बुरी है पी लीजिए,

अपनों संग ठहाके लगाएं, सुख दुख बांट लीजिए,
चाय की चुस्कियों संग रिश्तों की बहार सजा लीजिए।

Thursday, 18 March 2021

माँ का जन्म




जब एक बच्चा जन्म लेता है,
तब माँ का भी जन्म होता है,

कैसे उसे सुलायें,
कैसे नहलाएं,
पेट भरा या नहीं कैसे जान पाएं,
भूखा तो नहीं कैसे बतलायें,

इतना क्यों रोता है,
ठीक से क्या वो सोता है,
कितनी डरी सहमी वो रहती है,
आख़िर माँ भी तो अभी जन्मी होती है,

इंजीनियर डॉक्टर बनने में सालों लग जाते हैं,
कोचिंग और इंटर्नशिप भी करवाते हैं,
माँ को तो सीधा परीक्षा में ही बैठते हैं,
योग्यता और तैयारी के प्रश्न कहां आते हैं,

पूरा जीवन वो मातृत्व सीखने में लग जाती है,
लेकिन हर पल नवजात सी वो घबराती है,
सवालों के जवाब आजीवन देती जाती है,
कटघरे में खड़ा ख़ुद को पाती है,

बच्चा क्यों दुबला है, क्या ठीक से नहीं खिलाती हो,
परीक्षा में कम अंक आये, क्या उसे नहीं पढ़ाती हो,
इतनी व्यस्त रहती हो क्या बच्चे पर ध्यान दे पाती हो,
तुमने उसे बिगड़ा है, क्यों नहीं आंख दिखाती हो,

अपने परों को समेट कर उसने आँचल बनाया है,
माँ ने ख़ुद को भुला कर उसे अपनी पहचान बनाया है,
अपने मन की तरंग को विराम उसने लगाया है,
तब जा कर उसने माँ के रूप में जन्म को सार्थक बनाया है।

Monday, 8 March 2021

Being Me


Being the flawless mother,
And a sublime partner,

A cook, advisor, and a teaser,
Crazy and hazy nagger,

From the weekend laundry,
And the weekday crockery,

The stack of grocery,
And the shack of cutlery,

The ardent worker,
And the workforce docker,

Ready to take all the failure,
But I am not a loser,

I know it's a phase,
But life's become a race,

I know I have to be skeptical,
And be adaptable,

I adore this with ultimate vanity,
Because this is life's beauty.

I can't be none of thee,
So I adore being me!

Wednesday, 2 September 2020

निराला



उसके चंचल चेतन में, छोटे से मन के उपवन में,
अनेक सवाल उठते होंगे, अद्भुत खयाल आते होंगे,

ना जाने क्या सोचता होगा, क्या उसको समझता होगा,
विचित्र दुनिया का हर कोण होगा, विचार वृद्धि का वेग होगा,

पेड़ पौधे उपवन आंगन पहेलियों की कड़ियाँ,
सड़क पर दौड़ती गाड़ियां, पशु पक्षी की किलकारियां, अचरज की होंगी झड़ियाँ,

भाषा और शब्दों की श्रृंखला में टटोलता होगा,
वो कभी अपरिचित अनोखी कहानियां,

क्रोध क्लेश का भावावेश, 
क्या समझे वो करना द्वेष,

ना हंसी ठिठोली करना आये, उसको ना आये परिहास,
कपट विषाद निरीह निराला ना जाने वो त्रास,

किसका धन और कैसी माया,
रिश्तों का बंधन है किसने बतलाया,

ना देव दानव को वो पहचाने, ना कीर्तन भजन जाने
वो बैरागी,
सरल चित्त से करता विश्वास, विशुद्ध उसका मन अनुरागी,

पूजा अरज से ना साधे काज वो निस्वार्थ,
प्रतिफल और प्रतिकार है विचार निरर्थ,

सदैव रहता है निश्छल निर्मल नदी सा वह 
उत्साहित ,
असीम हो कर छलकती उत्सुकता की गागर,

क्या अपना क्या पराया कैसे रक्त का कौन है जाया,
जिसमे उसने प्रीति देखी मनोवेग ले वो मुस्काया |




Sunday, 5 July 2020

Too Blessed to Be Perplexed




Life is too short and too magical to be unhappy. Whether you are a stay at home mom, an office going mom, or stepping into both their shoes while working from home.

Being a stay at home mother, during my maternity leave days was hard, gave me constant learning about how the joys and challenges of motherhood go hand in hand. I used to long to return to work, get some me-time en route, listen to cool music and later enjoy an uninterrupted cup of coffee. At the same time, upon returning to work, those days which demanded more work and had tough deadlines, I was determined to escape and nurse my child, mechanically living the hush hush routine. Now, trying to work from home during these pandemic times is, indeed, harder. My head spins and I feel like loosing my sanity. Working in 25-minute shifts leaves you with a jittery feeling and a gives sense that you are failing both. It fills you with guilt to the brim, the guilt of not attending to either of them enough, and the guilt of entirely forgetting yourself. At the same time, it fills you with joy to be able to see your child growing in front of you and not missing on his activities, to be able to feed him by yourself and him not being stuffed by any of his daycare center's caregivers. Also, no worry to rush home from work is a bliss.

Now that I have done all the three, I know each of these has its own challenges and delights.

This juggling goes on in a parent's life and leaves you puzzled. Nevertheless, every phase of your child's growth makes you feel that he is as dependent on you as much as he is free. Just as every child is different, every mother also is. No one can teach you how to mother your child, you learn from experiences, and your motherhood, rather, your parenthood grows along with the child. Nothing persists, whatever you are doing and however you are doing, be proud of yourself.

Sunday, 21 June 2020

Lessons I Learnt From My Toddler


My toddler is 17 months and 9 days old as of today. His newly discovered skill of walking all by himself is undoubtedly his reason to rejoice. His excitement for life and every object and creature that he sees is noteworthy.

One fine evening when we took him for a walk, he startled us by chasing a stray dog to the extent of scaring it and finally making sure that the dog disappeared. The walk doubled up for us as jogging.

Unaware of the laws of the universe, he doesn't know that he is supposed to be scared of dogs and not be otherwise, and that they may bite or run after him.

The irrationality the kids have at this age drives parents to the brink of sanity, along with their constant fits and tantrums. But at the same time, their simple actions and perceptions make us learn big life lessons like these...


1. Express yourself. Scream when you want, weep if you feel like. Don't hold back your tears. If it does nothing, atleast it is good for your lungs.
2. Sleep when you are tired, and not when you ought to. Sleep as many times a day as you want, and wake up all perked up.
3. Eat if and when you are hungry, and eat only to satiate your hunger and not to empty your plate.
4. Live life in the moment, don't die planning your future.
5. Learn something new each day, and be excited about what you learn. Be curious about your surroundings.
6. Be contended in yourself and love all those you want. You can't make 6 billion people on the earth happy at the same time.  
7. When you don't get what you want, cry for it, fight for it or in the end, leave it.
8. Celebrate yourself, expect others to join in.
9. When you hear no, make it a yes.
10. Don't care about what others think of you. Let yourself be their problem, not yours! Like I say, tension lene ka nahi, dene ka
11. Take risks, be adventurous and never be anxious.
12. Have faith. Faith that everything will be okay, and faith in those who love you.
13. Don't hold grudges, forgive quickly and move on. Negative emotions must be drained. If you don't like something, move. You are not a tree.
14. Given a choice, choose to be happy. Toddlers find happiness in things as simple as a cardboard box, a spoon or a flying paper.
15. Don't complicate life. Accept that you won't get it, unless you ask for it.