Tuesday, 2 August 2022

विचार मंथन

प्रतिदिन के इस स्पंदन में,अनन्त चलते विचार मंथन में,संयोंग ये रहता हर मन में,अथक चलती है विचार धारा,हर मन असन्तोष का मारा,क्यों नहीं मिला मुझे जो उसने पाया,खत्म कहाँ होती हर मन की माया,श्रृंखला है अद्भुत अनंत सुख प्राप्ति की,कैसे वर्णन हो क्या है सुख की परिभाषा,बस ये मिल जाये और हम ख़ुश हो जाएं,बस वो मिल जाये फिर हम तृप्ति पाएं,परिश्रम किया, पूजन किया और सुख मिल ही गया,किन्तु श्रंखला में जुड़ गई बेहतर सुख की आशा,ऐसा है मानव जीवन का तमाशा,कैसे समझाएं...

Friday, 6 May 2022

माँ, कब तक सबके लिए जिया करोगी

कब तक सबके लिए जिया करोगी,ज़िन्दगी अपने हिस्से की कब चखोगी,बच गया तो खा लिया वरना ख़ुद के लिए सलाद कौन काटेगा,सेहत तुम्हारी भी है ज़रूरी, ये कोई न तुम्हें समझायेगा,याद रखती हो हमेशा, की कोई पकौड़े नहीं खाता, कोई सेब से मुंह चुराता,फिर कैसे भूल जाती हो ख़ुद अपनी पसंद नापसन्द,काटो तरबूज़, डालो अंगूर,अपनी भी थाली सजाना ज़रूर,परोसती हो बड़े उत्साह से सबको भोजन,ख़ुद की भी लगाओ एक प्यार वाली थाली,सबकी सेहत का रखती हो ध्यान,क्या आज भी ना रखा ख़ुद की दवाई का मान,कोई...

Thursday, 3 March 2022

मैं ही तो हूँ

तुम्हारे जीवन का आधार हूँ मैं,कभी बेटी तो कभी माँ हूँ मैं,मुझसे ही तुम्हारी भक्ति पूरी है,भूलना नहीं शिव की शक्ति हूं मैं,कृष्ण की बांसुरी पर नृत्य करती गोपी हूँ मैं,क्रोधित हो कर महिषासुर मर्दिनी भी बनी हूँ मैं,अहिल्या बन हुई पत्थर, द्रौपदी बन लगी दाव पर,सीता बन समायी भूमि में, स्वर्ण सी निखरी हर अग्निपरीक्षा में,गुड्डे गुड़ियों के खेल रचाती तुम्हारे आंगन में,मुझसे ही तुम्हारा कन्यादान का पुण्य सम्पूर्ण है,सुनी है मुझ बिन कलाई तुम्हारी,रक्षा करने...

Wednesday, 2 February 2022

सर्दियों का भोजन - परम् सुख

सर्दियों के मौसम में खाने का आनंद कुछ ऐसा है...उस पीली मक्के की रोटी से जब सरसों के साग को उठाते हैं, क्या गज़ब कलर कॉम्बिनेशन नज़र आता है,गर्मा गरम गोभी के पराठों पर तैरता हुआ मक्ख़न मन को जो लुभाता है, स्वाद की इन्द्रियों को वो जगाता है,अदरक वाली चाय में जब काली मिर्च पड़ जाती है, बिस्कुट भी बड़े प्रेम से उसमे डुबकी लगता है,हरे चने की कचोरी पर जब पढती है खट्टी मीठी इमली और ताज़े धनिया की तीख़ी चटनी, परम् सुख वो कहलाता है,गर्म जलेबी से तरती हुई चाशनी,...

Sunday, 14 November 2021

बचपन

याद आता है बचपन का वो फ़सानाना रोने का कारण ना हंसने का बहाना,कागज़ की नाव बना कर बारिश में नहाना,ठंड में ढूंढना स्कूल ना जाने का बहाना,भाई बहन के झगड़े में रिमोट का टूट जाना,"super mario" को टीवी में कुदाना,दीवाली के पटाखे बीस दिन पहले से जलना,होली पर पानी की पिचकारी में भी आनंद था सुहाना,ना सुबह की खबर, ना शाम का ठिकाना,थक कर स्कूल से आना, फिर भी बाहर खेलने जाना,ना youtube की swiping ना PS 4 के बटन दबाना,चित्रहार, महाभारत, तरंग के इंतज़ार में चहकना,छोटी...

Wednesday, 2 June 2021

एक प्याली चाय

ज़िन्दगी भी चाय की ही तरह है,घूंट घूंट कर इसे पी लीजिए,शक्कर की मिठास का लुत्फ़ उठाना है,तो दूध सा निर्मल हो लीजिए,इलाइची का सुकून, अदरक का तीखापन मिलता है इसमें,ऐसे ही सुख दुख की कुल्हड़ छलकाते रहिये,मिलने दीजिये कड़क चायपत्ती भी,धैर्य रखें, फिर रंग और स्वाद का कमाल देखिये,तपिश आएगी जाएगी समय समय पर,उबाल आने तक इंतज़ार कर लीजिए,छन छन कर मुश्किलें थम जाएंगी,फिर प्याला भर आनंद ले लीजिए,सोच विचार चिन्ता फिकर में क्यों बिताएं पल,सामने रखी चाय ना ठंडी होने...

Thursday, 18 March 2021

माँ का जन्म

जब एक बच्चा जन्म लेता है,तब माँ का भी जन्म होता है,कैसे उसे सुलायें,कैसे नहलाएं,पेट भरा या नहीं कैसे जान पाएं,भूखा तो नहीं कैसे बतलायें,इतना क्यों रोता है,ठीक से क्या वो सोता है,कितनी डरी सहमी वो रहती है,आख़िर माँ भी तो अभी जन्मी होती है,इंजीनियर डॉक्टर बनने में सालों लग जाते हैं,कोचिंग और इंटर्नशिप भी करवाते हैं,माँ को तो सीधा परीक्षा में ही बैठते हैं,योग्यता और तैयारी के प्रश्न कहां आते हैं,पूरा जीवन वो मातृत्व सीखने में लग जाती है,लेकिन हर पल नवजात...

Monday, 8 March 2021

Being Me

Being the flawless mother, And a sublime partner, A cook, advisor, and a teaser, Crazy and hazy nagger, From the weekend laundry, And the weekday crockery, The stack of grocery, And the shack of cutlery, The ardent worker, And the workforce docker, Ready to take all the failure, But I am not a loser, I know it's a phase, But life's become a race, I know I have to be skeptical, And be adaptable, I adore...

Wednesday, 2 September 2020

निराला

उसके चंचल चेतन में, छोटे से मन के उपवन में,अनेक सवाल उठते होंगे, अद्भुत खयाल आते होंगे,ना जाने क्या सोचता होगा, क्या उसको समझता होगा,विचित्र दुनिया का हर कोण होगा, विचार वृद्धि का वेग होगा,पेड़ पौधे उपवन आंगन पहेलियों की कड़ियाँ,सड़क पर दौड़ती गाड़ियां, पशु पक्षी की किलकारियां, अचरज की होंगी झड़ियाँ,भाषा और शब्दों की श्रृंखला में टटोलता होगा,वो कभी अपरिचित अनोखी कहानियां,क्रोध क्लेश का भावावेश, क्या समझे वो करना द्वेष,ना हंसी ठिठोली करना आये, उसको...

Sunday, 5 July 2020

Too Blessed to Be Perplexed

Life is too short and too magical to be unhappy. Whether you are a stay at home mom, an office going mom, or stepping into both their shoes while working from home.Being a stay at home mother, during my maternity leave days was hard, gave me constant learning about how the joys and challenges of motherhood go hand in hand. I used to long to return to work, get some me-time en route, listen to cool music and later enjoy an uninterrupted cup of coffee....