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Sunday, 13 April 2014

बड़ी हठीली ये रात

बड़ी हठीली ये रात,
मधुर गजलों का है साथ,


गिराते हुए पलकों के पर्दे,
बुला रही है निंदिया रानी,
मंद मुस्कान लिए ये होँठ,
कह रहे थम जा तू ऐ रात,
बड़ी हठीली ये रात,


अंधियरे में फैला सन्नाटा,
टिक टिक करता घड़ी का काँटा,


दबे पाँव ही सही सवेरा तो आना है,
तेरी विदाई का क्षण तो आना है,
कुछ पल ठहर जा ऐ रात,
बड़ी हठीली ये रात,


एक नई रौशनी का होगा साथ,
जब बीत जायेगी तू ऐ रात,
खूबसूरत होगी वो सहर,
अनेक आशाओं को समेटे गोद में,
आ जायेगी वो सहर,
बड़ी हठीली ये रात,
मधुर गजलों का है साथ


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