याद आता है बचपन का वो फ़साना
ना रोने का कारण ना हंसने का बहाना,
कागज़ की नाव बना कर बारिश में नहाना,
ठंड में ढूंढना स्कूल ना जाने का बहाना,
भाई बहन के झगड़े में रिमोट का टूट जाना,
"super mario" को टीवी में कुदाना,
दीवाली के पटाखे बीस दिन पहले से जलना,
होली पर पानी की पिचकारी में भी आनंद था सुहाना,
ना सुबह की खबर, ना शाम का ठिकाना,
थक कर स्कूल से आना, फिर भी बाहर खेलने जाना,
ना youtube की swiping ना PS 4 के बटन दबाना,
चित्रहार, महाभारत, तरंग के इंतज़ार में चहकना,
छोटी सी साईकल पर फेरी लगाना,
गुड्डे गुड़िया और गिल्ली डंडे का खेल लगता सुहाना,
नया पेंसिल बॉक्स आने पर चार दिन खुशियां मनाना,
स्कूल में बर्थडे पर क्लास में टॉफ़ी बांटना,
सुंदर रचना, बचपन याद आ गया
ReplyDelete