ज़िन्दगी भी चाय की ही तरह है,
घूंट घूंट कर इसे पी लीजिए,
शक्कर की मिठास का लुत्फ़ उठाना है,
तो दूध सा निर्मल हो लीजिए,
इलाइची का सुकून, अदरक का तीखापन मिलता है इसमें,
ऐसे ही सुख दुख की कुल्हड़ छलकाते रहिये,
मिलने दीजिये कड़क चायपत्ती भी,
धैर्य रखें, फिर रंग और स्वाद का कमाल देखिये,
तपिश आएगी जाएगी समय समय पर,
उबाल आने तक इंतज़ार कर लीजिए,
छन छन कर मुश्किलें थम जाएंगी,
फिर प्याला भर आनंद ले लीजिए,
सोच विचार चिन्ता फिकर में क्यों बिताएं पल,
सामने रखी चाय ना ठंडी होने दीजिए,
कप, प्याली, कुल्हड़ या गिलास चाहे जिसमें पी लीजिये,
जीने का तरीका अपना अनोखा चुन लीजिए,
बिस्कुट और पकोड़े साथ हो ना हो,
ये अकेली भी कहाँ बुरी है पी लीजिए,
अपनों संग ठहाके लगाएं, सुख दुख बांट लीजिए,
चाय की चुस्कियों संग रिश्तों की बहार सजा लीजिए।
दिल को छू लेने वाली कविता
ReplyDeleteJust wow. I never liked chai but after reading this I will definitely have chai with my family just to spend some more good moments with them. The way you have related chai with life is amazing.
ReplyDeleteVery nice blog. thank you so much for sharing with us. Very well explained. I really love the way of your writing. Thank you again.
ReplyDeleteI am extraordinarily affected beside your writing talents, Thanks for this nice share.
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