Wednesday, 2 June 2021

एक प्याली चाय






ज़िन्दगी भी चाय की ही तरह है,
घूंट घूंट कर इसे पी लीजिए,

शक्कर की मिठास का लुत्फ़ उठाना है,
तो दूध सा निर्मल हो लीजिए,

इलाइची का सुकून, अदरक का तीखापन मिलता है इसमें,
ऐसे ही सुख दुख की कुल्हड़ छलकाते रहिये,

मिलने दीजिये कड़क चायपत्ती भी,
धैर्य रखें, फिर रंग और स्वाद का कमाल देखिये,

तपिश आएगी जाएगी समय समय पर,
उबाल आने तक इंतज़ार कर लीजिए,

छन छन कर मुश्किलें थम जाएंगी,
फिर प्याला भर आनंद ले लीजिए,

सोच विचार चिन्ता फिकर में क्यों बिताएं पल,
सामने रखी चाय ना ठंडी होने दीजिए,

कप, प्याली, कुल्हड़ या गिलास चाहे जिसमें पी लीजिये,
जीने का तरीका अपना अनोखा चुन लीजिए,

बिस्कुट और पकोड़े साथ हो ना हो,
ये अकेली भी कहाँ बुरी है पी लीजिए,

अपनों संग ठहाके लगाएं, सुख दुख बांट लीजिए,
चाय की चुस्कियों संग रिश्तों की बहार सजा लीजिए।