Sunday, 22 March 2020

फ़ुर्सत



चलिए कागज़ पर कुछ अल्फ़ाज़ लिखते हैं
धरती जो कर रही आराम उस पर साज़ लिखते हैं,
आश्चर्य में पड़ गया विज्ञान,
प्रकृति ने किया वो संग्राम,


आदमी आदमी की मौत का हो रहा कारक है,
घोर कलियुग का ये आग़ाज़ दिखता है,
प्रकृति के प्रक्षालन का ये संयोग सच्चा है,
दूरियां बढ़ने का योग अच्छा है,


देख लो मोबाइल टीवी या अखबार,
प्रवचन का लगा है अम्बार,
हाथ धोएं, किसी को न छुएं, बुखार ना होये,
ख़ुद की बनाई जेल में गुम होये,


जीवन मे नहीं बस सिनेमा, मॉल और पार्टी हॉल,
फुर्सत भरे दिन रात मिलते कहाँ है हाल फिलहाल ,
बच्चों को घर के काम का आनंद सिखलाये,
Playstation और iPad को दूर हटाएं,


क्यूं ना आज अपने शौक फरमाएं,
परिवार में किस्से कहानियों की चौपाल बैठाएं,
अब मौका मिला है तो फायदा उठायें,
कुछ लम्हें अपनों के साथ बिताएं |

3 comments:

  1. पद्मिनी झा22 March 2020 at 18:18

    सुंदर,आज की स्तिथी के अनुसार सही पंक्तिया

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  2. bahut khub, bahut sunder lines hai

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Thanks for your awesome comment! I always look forward to it.