चलिए कागज़ पर कुछ अल्फ़ाज़ लिखते हैं
धरती जो कर रही आराम उस पर साज़ लिखते हैं,
आश्चर्य में पड़ गया विज्ञान,
प्रकृति ने किया वो संग्राम,
आदमी आदमी की मौत का हो रहा कारक है,
घोर कलियुग का ये आग़ाज़ दिखता है,
प्रकृति के प्रक्षालन का ये संयोग सच्चा है,
दूरियां बढ़ने का योग अच्छा है,
देख लो मोबाइल टीवी या अखबार,
प्रवचन का लगा है अम्बार,
हाथ धोएं, किसी को न छुएं, बुखार ना होये,
ख़ुद की बनाई जेल में गुम होये,
जीवन मे नहीं बस सिनेमा, मॉल और पार्टी हॉल,
फुर्सत भरे दिन रात मिलते कहाँ है हाल फिलहाल ,
बच्चों को घर के काम का आनंद सिखलाये,
Playstation और iPad को दूर हटाएं,
क्यूं ना आज अपने शौक फरमाएं,
परिवार में किस्से कहानियों की चौपाल बैठाएं,
अब मौका मिला है तो फायदा उठायें,
कुछ लम्हें अपनों के साथ बिताएं |