फिर जब टेलीविज़न पर गांधी परिवार के राजकुमार को दिल्ली से मुम्बई जा कर एटीएम की कतार में लगे देखते हैं तो रूह कांप उठती है।
जब मफलर वाले साहब को उनकी योग्यता के प्रतिकूल ट्वीट करते हुए पाते हैं तो समझ नहीं आता की एक तरफ़ा वाद विवाद भी कितना मनोरंजक होता है।
और विदेश यात्रा से लौटे नेताजी को भाषण के दौरान आंसू बहाते देख मन किसी टेलीविज़न सीरियल की बहू की याद दिला देता है।
इसी बीच हर न्यूज़ चैनल पर 8 पासपोर्ट साइज़ के चहरे और एक थोड़ा बड़ा साइज के न्यूज़ रीडर का आपस में संवाद और अपनी मति का प्रदर्शन करते देख हम हास्य और रहस्य की मजधार में खुद को झूलता हुआ पाते हैं।
ईश्वर की अनुकंपा से व्हात्सप्प और फेसबुक पर हो रहे सुचना एवं प्रसार की अतिशयोक्ति में हम निरंतर मुस्तैद रहते हैं।
किसी गरीब को अस्पताल में नोटों के अभाव में तरसते देखा और एक दुल्हन के पिता को बारात को चाय पिला कर लौटाते देखा, तो मन आहात हुआ यह सोच कर की आखिर इसका ज़िम्मेदार कौन है और शिकार कौन।
खैर ये सब छोड़ें साहब, हम तो चले एटीएम। क्या पता ये नोट कल हो ना हो !
(Disclaimer: This post does not intend to harm, defame, or hurt the sentiments of any person, gender, religion, political party, news channel, religious belief, god or to whomsoever it may concern. I sincerely apologize in advance if it is so. I wrote this to present the whole picture from my perspective and to encourage constructive thought process for a better and progressive nation. The views are based on my limited knowledge of the ongoing situations and are only for fun)
वर्ण एवं शब्दों का परिपक्व प्रयोग, व्यंग्यात्मक रूप मे आज की समस्या का सुन्दर विवरण !
ReplyDeleteDhanyawaad Priya Ji :)
DeleteGreat article, Thanks for your great information, the content is quiet interesting. I will be waiting for your next post.
ReplyDeleteThank you for the appreciation :) Keep reading.
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