Monday, 6 April 2015

शख़्सियत


इस कदर लोगो को हँसाना मेरी आदत ना समझो,
हर क़दम रिश्ते बनाने की इसे शिद्दत ना समझो |

खुदगर्ज़ी है मेरी और मुझे खुदगर्ज़ समझो,
मेरे जनाज़े में चलने वालो की तादात बढ़ाने की कोशिश समझो ।|

4 comments:

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