Thursday, October 30, 2014 In: hindi, poem 1 comment लम्हा ये लम्हा भी यूँ ही बीत जायेगा, अगला लम्हा भी कौनसा साथ निभायेगा, भर लो हर लम्हा अपनी बाहों में, क्या पता, कौनसा लम्हा आखरी कहलायेगा || Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
very true
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