Saturday, September 20, 2014 In: hindi, poem, urdu No comments राज़ लफ्जों से गूफ्तगू में बेपरवाह वो ख़ुद को धोखा दे जाते हैं, लाख कोशिश कर ले महफूज़ रखने की, बेमानी करती हैं उनकी पलकें, झुकते हुए हर राज़ से पर्दा उठा देती हैं Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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