Tuesday, 26 February 2013

बस यूँ ही हम जिये जा रहे हैं!


बस यूँ ही हम जिये जा रहे हैं,
खुश रह्ने के तरीके ढूँढें जा रहे हैं!

कहाँ गयी वो मासूमियत,
खो गयी वो शरारत,
झूठी हँसी को खुशी का नाम दिए जा रहे हैं,
क्या सोचा और क्या किए जा रहे हैं,
बस यूँ ही हम जिये जा रहे हैं,
खुश रह्ने के तरीके ढूँढें जा रहे हैं!

आगे बढ़ने कि होड़ में ,
जीवन कि इस दौड़ में,
ख़ुद ही को पीछे छोड़ें जा रहे हैं,
सीमाओं का बहाना दिए जा रहे हैं,
बस यूँ ही हम जिये जा रहे हैं,
खुश रह्ने के तरीके ढूँढें जा रहे हैं!





 -By Mansi Ladha

Saturday, 16 February 2013

Who are we?




Are we really humans?? What’s the difference between a human and an animal…An animal wakes up in the morning , searches for food, eats, roams and then sleeps….and same does a human….wakes up, works , eats, then works, eats and sleeps.. What are we here for?? Is there any special reason why god has created a different species called human….yes of course, god wants us to do something better with our lives….something different…we have got only one life so make use of it..........!!!!